शिक्षक बदला नही लेता है , शिक्षा एक ऐसी शेरनी का दूध है की जो भी इसे पीता है वही दहाड़ता है |
हमने सन 1990 से शिक्षा के क्षेत्र मे प्रवेश किया तथा कुछ शिक्षा विधि विद्वानों के साथ पूरे प्रदेश में
शिक्षा जगत मे काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | सन 2001 में हमने "इटावा पब्लिक स्कूल" की
स्थापना की जो की भर्थना चौराहे के निकट अशोक नगर मे स्थित है भव्य विधालय भवन निर्माण के वाद
सन 2006 मे स्कूल को इन्टर की मान्यता प्राप्त हुई जो आज इटावा पब्लिक इन्टर कालेज -अशोक नगर इटावा के रूप मे संचालित है |
मैं कालेज के लिये अपने दायित्यों का पूरी सजगता से निर्वाहन करता हूँ तथा शेष समय मे भीं स्कूल
मे क्या अच्छा किया जा सकता है इसके बारे मे चिंतन करता हूँ |
अपने पिछले 32 वर्षो के पूरे प्रवंधकीय अनुभव को स्कूल मे समर्पित करता हूँ |
मेरा संकल्प है की इटावा पब्लिक इन्टर कालेज को नगर का एक आदर्श कालेज के रूप मे रख सकूँ |
तथा स्कूल मे साधन सुलभता की द्रष्टि से कोई कमी न रहे येसे प्रवंधकीय दायित्व का पालन
भी करता हूँ |
बालक को अच्छा बनाने के लिये परिवार समाज व स्कूल तीनों का ही अहम दायित्व होता है
यदि तीनों ही पहलू अपने दायित्वों का पूरी सजगता से पालन करें तो बच्चा निशित ही अच्छा बन सकत है |
बालक एक भोला जिज्ञासु होता है वह हर चीज को जानने की चाहत रखता है |”शिक्षा जगत मे अंक और अक्षर ज्ञान के साथ ही संस्कार अच्छी आदतें अच्छा चरित्र , नैतिकता यदि नहीं है तो अंक और अक्षर का ज्ञान शिक्षा के उद्देशय को पूरा नही करता है | “ शील विनय ,आदर्श शीतलता तार बिना झंकार नही है शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी यदि नैतिक आधार नही |” स्कूल ऐसा मानकर शिक्षण कार्य कराता है तथा सत्र के बीच मे कभी –पी0 टी0 एम0 (आभिभावक बैठक) बुलाकर बच्चों के शैक्षिक विकास पर विचार विमर्श करता है | स्कूल सत्र मे कई जी० के० आदि के कंपटीशन कराता है क्योकि प्रीतियोगिता परीक्षा जीवन मे अति महत्वपूर्ण होती है परीक्षा चाहे छोटे बच्चे की हो या IAS या IPS की हो परीक्षाओ का सामना करने से बच्चे मे मानसिक निखार आता है | स्कूल मे अंग्रेजी व हिन्दी माध्यम से अलग –अलग कक्षाये संचालित है हम स्कूल मे सख्त अनुशासन रखकर शासन के सभी निर्देशों का पालन करते है |